(SC/ST) हरिजन या दलित की जमीन कैसे खरीदें?


Harijan SC/ST Ki Jameen Kaise Kharide:- भारत में, अनुसूचित जातियों के लोगों को कुछ राज्यों और क्षेत्रों में निर्धारित जमीनों की खरीद फरोख्त एवं बेचने से सम्बन्धित कुछ विशेष प्राविधान किये हुए है जिनके तहत उन्हें कुछ विशेष सुरक्षा प्राप्त होती है। इसे अनुसूचित जातियों की जमीन नीति कहा जाता है, और यह कुछ विशेष प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

यह विशेष प्राविधान अनुसूचित जातियों के लोगों को समाज में समानता और न्याय की सुनिश्चितता प्रदान करते है। इस तरह की जमीनों को अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है ताकि उन्हें आर्थिक रूप से समृद्धि मिल सके और वे समाज में समानता के साथ जी सकें तथा सुरक्षित होने का अहसास प्राप्त कर सके।

इस नियम के अनुसार किसी भी SC / ST या हरिजन की जमीन खरीदने या बेचने के लिए निर्धारित नियमो एवं प्रक्रिया का अनुसरण करना अत्यंत आवश्यक है. हलांकि इन नियमो की वजह से अक्सर जरूरत मंद लोगों को अपनी जमीन बेचने में कुच्छ परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिनको समय समय पर राज्य सरकारे समयानुसार परिवर्तित करती है. हाल फ़िलहाल के दौरान उत्तर प्रदेश की सरकार ने कुच्छ प्राविधानो बदलाव कर ढील प्रदान की है.

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अनुसूचित जाति की जमीन कैसे खरीदें इसके सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे ताकि आपको नियमो एवं कानून की जानकारी हो सके एवं आप सभी जमींन की खरीदने के दौरान सावधानी बरत सकें?

हरिजन या दलित की जमीन खरीदने की नियम

क्या हरिजन की जमींन जनरल अथवा OBC कास्ट के लोग खरीद सकते है अथवा नहीं खरीद सकते है, इसकी जानकारी हम आपको प्रदान करेंगे. SC/ST को मिले हुए विशेष प्रविधानो के तहत प्रत्येक राज्य के आपने अपने अलग नियम एवं कानून है.

कुछ राज्यों के अनुसार SC/ ST की जमीन में सवर्ण जाति के व्यक्ति किसी प्रकार से दखलंदाजी नहीं कर सकते है. उन राज्यों में यह प्राविधान है की शेड्यूल कास्ट एवं शेड्यूल ट्राइब की जमीन सिर्फ शेड्यूल कास्ट एवं शेड्यूल ट्राइब के लोग ही खरीद सकते है.

वैसे तो शेड्यूल कास्ट एवं शेड्यूल ट्राइब की जमीन की खरीद फ़रोख्त से सम्बन्धित किसी प्रकार का नियम संविधान में नही लिखा है. परन्तु राज्य हरिजनों एवं आदिवासियों की जमींन की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है. जिसके तहत वह विशेष प्राविधान अपने राज्यों में लागू करती है.

दलित या हरिजन की जमीन खरीदने से जुड़ी जानकारी

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1. आमतौर पर सवर्ण अथवा पिछड़ी जाति (OBC) के लोग किसी भी SC अथवा ST की जमीन को खरीद नहीं सकते है.

2. UP में विशेष परिस्थियों में विशेष प्राविधान भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157 A  के तहत बनाये गये नियमो एवं कानूनों का पालन कर सवर्ण अथवा पिछड़ी जाति (OBC) के लोग SC अथवा ST की जमींन को खरीद सकते है.

3. उत्तर प्रदेश में हरिजन अथवा आदिवासी लोगो की जमीन को खरीदने के लिए सवर्ण जाति एवं पिछड़ी जाति के लोगो को कलेक्टर अथवा जिला अधिकारी से स्वीकृति प्राप्त करनी होती है.

4. कलेक्टर एवं जिला आधिकारी से इस प्रकार की जमींन को खरीदने की स्वीकृति प्राप्त करने हेतु आपको जमीन के पूर्ण ब्योरे के साथ आवेदन करना होगा.

5. आवेदन करने के लिए आपको उस जमीन का समस्त ब्योरा एवं जमीन के मालिक का समस्त ब्यौरा तथा साथ में अपना समस्त ब्योरा जैसे आधार कार्ड आय प्रमाण पत्र पता DM अथवा कलक्टर को प्रदान करना होगा.

6. आपके आवेदन को स्ववीकृत होने के लिए SC अथवा ST के व्यक्ति के पास कुल जमीन ३ एकड़ से ज्यादा होनी चाहिए. 3 एकड़ से कम होने पर अधिकारी आपको जमीन खरीदने की अनुमति नहीं देगा.

7. यदि sc/st आपस में ही जमीन की खरीद फरोख्त करना चाहते है तो उन्हें भी ऐसा करने के लिए अपने जिले के जिला अधिकारी अथवा कलेक्टर के परमीशन चाहिए होगी.

8. यदि आपने ऐसी जमीन जिला अधिकारी अथवा कलेक्टर के स्वीकृति के बिना रजिस्ट्री करा ली है और यदि किसी प्रकार का ऑब्जेक्शन किया विक्रेता पक्ष से किया जाता है तो न्यायालय द्ववारा उस जमीन की रजिस्ट्री को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जायेगा.

यदि SC / ST जमीन की रजिस्ट्री कोर्ट द्वारा रद्द कर दी जाती है तो क्या करे –

यदि आपने SC ST की भूमि को बिना कलेक्टर अथवा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की बिना स्वीकृति लिए खरीद ली है एवं विक्रेता पक्ष की ओर से किसी भी व्यक्ति (वह स्वय, परिवार के लोग रिश्तेदार अथवा समाज के लोग ) ने कोर्ट में जाकर अपील कर दी है तो ऐसे मामले में आपके पास बचाव का कोई तरीका मौजूद नहीं होगा. कोर्ट मामले में त्वरित कार्यवाही करते हुए रजिस्ट्री को खारिज कर देगी. अर्थात वह रजिस्ट्री उसी दिन से शून्य मानी जायेगी.

अतः जमीन की खरीद दारी करते समय यह जिम्मेदारी खरीदार की होत्ती है की वह जमीन से सम्बंधित समस्त ब्योरे को कलेक्टर अथवा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष उपलब्ध कराए. ऐसी स्थिति में कोर्ट में आपके द्वारा दी गयी किसी भी प्रकार की दलील मान्य नहीं होगी.

रजिस्ट्री रद्द होने के दौरान दलित की जमीन के खरीद में लगाये हुए धन की किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी स्वय खरीदार की होगी. ऐसे मामले में किसी भी प्रकार का मुआवजा अथवा सहायता राशि के देय का जिम्मेदार न तो विक्रेता होगा न ही न्यायालय.

SC/ST जमीन की खरीदी या बिक्री में लगने वाले दस्तावेज –

हरिजन या दलित (SC / ST) जनों की जमीन की खरीदारी के दौरान निम्नलिखित दस्तावेजो का होना अत्यंत आवश्यक है.

  1. अग्रीमेंट पेपर (स्टाम्प पेपर) :- यह अत्यंत जरूरी दस्तावेज है जिसमे खरीदार एवं विक्रेता के मध्य हुए अग्रीमेंट का विस्तार पुर्वक वर्णन किया जाता है. एवं गवाहो की गवाही भी इसी में तय होती है.
  2. स्वीकृति प्रमाण पत्र :- जमीन की खरीददारी के लिए आपके पास जिला अधिकारी अथवा कलेक्टर का स्वीकृति प्रमाण पत्र होना अत्यनत आवश्यक है.
  3. आधार कार्ड: अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड लगाना आवश्यक है। आधार कार्ड जमीन विक्रेता का भी होना आवश्यक है.
  4. पैन कार्ड :- क्रेता (खरीददार ) का पैन कार्ड होना अत्यंत अनिवार्य है.सरकार ने पैन कार्ड को अत्यंत जरूरी दस्तावेज घोषित किया है.
  5. गवाह :- जमीन खरीद के दौरान 2 गवाह क्रेता पक्ष के एवं 2 गवाह विक्रेता पक्ष के होने चाहिए एवं उनके आधार कार्ड की फोटो कॉपी
  6. भूमि स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज: जमीन के मालिकाना हक की पुष्टि के लिए संबंधित भूमि स्वामित्व दस्तावेज जैसे कि खतौनी, खसरा, और नक्शा।
  7. मूलनिवास प्रमाण पत्र :- आपको यह बताना होगा की आप कहाँ के निवासी है. यह प्रमाण पत्र विक्रेता के लिए अनिवार्य है
  8. आय प्रमाण पत्र :- जमीन खरीद के दौरान आपको अपनी आय का विवरण भी देना पड़ सकता है.
  9. जाति प्रमाण पत्र :- विक्रेता का जाती प्रमाण पत्र लगाया जा सकता है.
  10. बैंक चेक बुक :- इसके माध्यम से जमीन की कीमत जमा होगी.
  11. फ़ोन नंबर : विक्रेता एवं खरीददार दोनों का होना आवश्यक है.
  12. पासपोर्ट साइज़ फोटो :- विक्रेता एवं खरीददार दोनों के कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटो की भी आवश्यकता होगी.

Harijan Ki Jameen Kaise Kharide उसकी प्रक्रिया –

जमीन रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर सबसे पहले खरीददार को किसी वकील के माध्यम से आपना अग्रीमेंट तैयार कराना होता है. यह अग्रीमेंट स्टाम्प पेपर पर बनाया जाता है. इसके लिए खरीदार स्टाम्प ड्यूटी चुकाता है. स्टाम्प ड्यूटी अलग अलग राज्यों में भिन्न हो सकती है. जैसे की उत्तर प्रदेश सरकार प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 7 % स्टाम्प ड्यूटी अर्थात स्टाम्प टैक्स लगती है.

स्टाम्प ड्यूटी चुकाने के बाद आपको अग्रीमेंट तैयार करना होता है जिसमे क्रेता की अपनी जानकारी एवं विक्रेता की कुल जानकारी विस्तार से लिखी जाती है. इसके पश्चात खरीदार एवं विक्रेता द्वारा लाये गये अपने दोनों गवाहों की गवाही एवं उनकी समस्त जानकारी लिखी जाती है.

इसके पश्चात क्रेता एवं विक्रेता की सिग्नेचर साथ ही गवाहों के सिग्नेचर किये जाते है. रजिस्ट्री पेपर बनने के बाद रजिस्ट्रार के कार्यालय में पेश करें। इस प्रक्रिया के दौरान आपको एक टोकन नंबर मिलेगा, जिसमें आपका स्थान होगा कि आप कितने नंबर के बाद जाएंगे।

रजिस्ट्रार के द्वारा हरिजन की जमीन बेचने या खरीदने से संबंधित कुछ सवाल पूछे जाएंगे। जैसे कि, क्या आप जमीन बेच रहे हैं, क्या आप जमीन खरीद रहे हैं, क्या आपको जमीन का पैसा मिला है? आदि। सभी जानकारी बताने के बाद, दोनों व्यक्तियों से हस्ताक्षर कराकर रजिस्ट्री कर दी जाएगी

FAQ :-

Q1. हरिजन की जमीन कैसे खरीद सकते हैं?

Ans. यदि आपको उत्तर प्रदेश में हरिजन अर्थात शेड्यूल कास्ट की जमीन की खरीदारी करनी है तो आपको भूमि सुधार अधिनियम की धारा 157 A उत्तर प्रदेश के तहत बनाये गए विशेष प्राविधानो का पालन करना होगा. जिसके तहत आपको भूमि की खरीद के लिए भू स्वामी की स्वीकृति लेनी होगी जिसके पश्चात आपको जमीन खरीदने से सम्बन्धित आवेदन जिला अधिकारी एवं कलेक्टर के कार्यालय में जमा करनी होगी. अधिकारी द्वारा समस्त जमीन की जांच पड़ताल करने के पश्चात यदि भू स्वामी के पास 3 एकड़ से अतिरिक्त जमीन होगी तो उसे बेचने की परमीशन प्रदान की जाएगी. तभी आप रजिस्ट्री करा सकते है.

Q2. हरिजन जमीन खरीदने में DM की परमिशन न लेने पर क्या होगा ?

SC ST से समन्धित जमीन की खरीददारी के दौरान यदि आप DM की परमिशन नही लेते है तो आपकी रजिस्ट्री तत्काल प्रभाव से कोर्ट द्वारा रद्द कर शून्य कर दी जाएगी. जिसके तहत आपको किसी भी प्रकार का पैसा वापस प्राप्त नही होगा.

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